करनाल
करनाल में पहली बार आईसीपी-एमएस मशीन से पानी के नमूनों की जांच होगी। इस कार्य के लिए थर्मोफीशर साइंटिफिक कंपनी को पांच साल के लिए दो करोड़ 78 लाख रुपये में ठेका दिया गया है। प्रदेशभर के सभी जिलों से एकत्र किए गए सैंपल करनाल में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की राज्य स्तरीय लैब में जांच के लिए आएंगे। विभाग की ओर से दो करोड़ 30 लाख रुपये में यह मशीनरी खरीदी गई है। इसकी पांच साल तक रख-खवाब व इस्तेमाल के लिए 48 लाख रुपये में कंपनी को जिम्मेवारी सौंपी गई है। विभाग ने यह निर्णय पानी में आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, सीसा, मैगनीज, पारा, निकल, यूरेनियम जैसे घुलनशील पदार्थों के मिलने के कारण लिया है। यदि ऐसे पानी का लगातार सेवन किया जाए तो त्वचा रोग, कैंसर, पेट और सिर से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। आईसीपी-एमएस का मतलब इंडक्टिवली कपल्ड प्लाज्मा मास स्पेक्ट्रोमेट्री है। यह एक विश्लेषणात्मक तकनीक है जो किसी नमूने में तत्वों की पहचान और माप करने के लिए प्लाज्मा स्रोत और मास स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग करती है। पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए पानी, तलछट, और मछली के ऊतकों का सैंपल भी लिया जाता है। इन सैंपल से पानी में घुले हुए ऑक्सीजन, पोषक तत्व, धातु, तेल और कीटनाशकों जैसे तत्वों की मात्रा का ही पता लगाया जाता है। इससे अलावा आईसीपी-एमएस मशीन के जरिये पानी में घुलनशील आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, सीसा व यूरेनियम जैसे तत्वों का भी पता लगाया जा सकता है।