गुरुग्राम
हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुग्राम में दंगल सज गया है। हालांकि मुकाबला किस-किस के बीच होगा, यह अभी साफ नहीं हो पाई। उम्मीद है कि इस सप्ताह यह तस्वीर भी साफ हो जाएगी। गुरुग्राम में ब्राह्मण समाज को उम्मीद है कि इस बार भाजपा उनके समाज के नेताओं को प्राथमिकता देगी। ब्राह्मण समाज से जुड़ी संस्थाएं भी इसको लेकर आवाज उठा रही हैं। गुरुग्राम विधानसभा में अभी तक ब्राह्मण समाज से कोई विधायक नहीं बना है। गुरुग्राम में भाजपा की टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। इनमें जीएल शर्मा गुरुग्राम विधानसभा सीट से तीसरी बार दावेदारी कर रहे हैं। साथ ही पार्टी के प्रति निष्ठावान रहने के चलते उनको लग रहा है कि अब पार्टी की बारी है कि वह उन्हें एक मौका दे। वे टिकट को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं और चुनाव प्रचार में जुटे हैं। मुकेश शर्मा का नाम भी चल रहा है, लेकिन 2014 में उनके निर्दलीय बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने से मामला उलझा सा नजर आ रहा है। दूसरी ओर जीएल की बात करें तो वह बीजेपी के साथ वर्षों से कदम मिलाकर चल रहे हैं।राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ब्राह्मण समाज का एकजुट होना और पार्टी के हर दायित्व को ईमानदारी से निभाने व मजबूत टीम के चलते जीएल शर्मा की दावेदारी कुछ अधिक मजबूत नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस इस बार गुरुग्राम सीट को वापस अपने कब्जे में लेने के लिए मोहित ग्रोवर पर दांव लगाने का मन बना रही है। जानकार बताते हैं कि जातिगत समीकरण में ब्राह्मण व पंजाबी वोटर्स करीब-करीब बराबर हैं। आप पार्टी के उमेश अग्रवाल बीजेपी से पहले विधायक रहे हैं उनके चुनाव लड़ने की अटकलों ने बीजेपी के वैश्य दावेदारों की परेशानी अवश्य बढ़ा दी है। बीजेपी के अंदर पंजाबी नेता यशपाल बत्रा, सीमा पाहूजा और पूर्व जिलाध्यक्ष गार्गी कक्कड़ भी टिकट की रेस में हैं। इनके लिए भी कई पार्टी के नेता व संगठन के लोग पैरवी कर रहे हैं। सीमा पाहूजा ने नगर नगम चुनाव में गार्गी को शिकस्त दी थी। यशपाल बत्रा पहले डिप्टी मेयर रहे हैं और उनकी पत्नी भी पार्षद रहीं हैं। इसी के चलते वह भी टिकट की रेस में हैं। हालांकि यदि कांग्रेस ने पंजाबी चेहरा उतारा तो फिर बीजेपी शायद ब्राह्मण दावेदार पर विचार कर सकती है। जीएल शर्मा भाजपा में लगातार दूसरी बार प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। वह मौजूदा समय में फरीदाबाद के संगठनात्मक प्रभारी हैं। इससे पहले सीएम नायब सैनी के सांसद रहते कुरुक्षेत्र और नूंह के प्रभारी भी रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में जीएल को कांग्रेस के गढ़ रोहतक का चुनाव प्रभारी बनाया गया था। उन्होंने अपने संगठनात्मक कौशल से पार्टी की हार को जीत में बदलने में अहम भूमिका निभाई। रोहतक की जीत के बाद भाजपा प्रदेश में पहली बार क्लीन स्वीप करने में सफल हो पाई थी। वहीं 2024 में पार्टी ने उन्हें फरीदाबाद लोकसभा चुनाव में प्रभारी की जिम्मेदारी दी। इनके अलावा असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, दिल्ली विधानसभा और एमसीडी चुनाव, मध्य प्रदेश, पंजाब के विधानसभा चुनावों में विधानसभा प्रभारी की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। नोहर लाल सरकार में जीएल को हरियाणा डेयरी विकास सहकारी प्रसंघ के चेयरमैन की जिम्मेदारी मिली। यह सरकार की ऐसी संस्था थी जो कभी लाभ में नहीं रही। चेयरमैन बनने के बाद जीएल ने यहां ईमानदारी की मिसाल पेश करते हुए इस संस्था को पहली बार 42 करोड़ रुपए से अधिक के लाभ में पहुंचाया। वहीं उन्होंने बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह की राजस्थान व गुजरात में सफल रैली कराई। उम्मीद है कि पार्टी अब उनको इनाम में टिकट देगी। जीएल शर्मा के दादा उनके पैतृक गांव राजावास गांव के सरपंच रहे। बाद में उनके पिता और माता ने करीब 20 साल तक सरपंच के रूप में प्रतिनिधित्व करते हुए जनसेवा की। यहीं से प्रेरणा मिली। वह भी पांच साल अपने गांव के सरपंच रहे हैं। गांव की सरपंच के रूप में अब उनकी पुत्रवधु इस सेवा कार्य को आगे बढ़ा रही है। अब जीएल शर्मा विधायक बनकर जनसेवा के संकल्प को साकार करने में जुटे हैं।